रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है: प्रेम और परंपरा का पर्व
रक्षाबंधन का त्योहार मुख्य रूप से भाई-बहन के बीच के अटूट प्रेम, विश्वास और एक-दूसरे की सुरक्षा के संकल्प के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। यह सिर्फ एक धागा नहीं, बल्कि भावनाओं का एक पवित्र बंधन है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है?
रक्षाबंधन मनाने के कई कारण और पौराणिक कथाएँ हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं:
- प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक: यह त्योहार भाई और बहन के बीच के स्नेह और कर्तव्य को समर्पित है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी (रक्षा सूत्र) बांधकर उसकी लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करती है। बदले में, भाई अपनी बहन की हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देता है। यह रिश्ता केवल सगे भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उन सभी रिश्तों का जश्न मनाता है जहाँ सुरक्षा और स्नेह का भाव हो।
- पौराणिक कथाएँ:
- कृष्ण और द्रौपदी: महाभारत की एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब भगवान कृष्ण की उंगली शिशुपाल का वध करते समय कट गई थी, तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। इस उपकार के बदले कृष्ण ने द्रौपदी को किसी भी संकट में सहायता करने का वचन दिया, और चीरहरण के समय उनकी लाज बचाई। यहीं से रक्षासूत्र बांधने की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है।
- इंद्र और इंद्राणी: वामन पुराण में वर्णित है कि देव-दानव युद्ध के दौरान, इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने गुरु बृहस्पति के सुझाव पर इंद्र की कलाई पर मंत्रों से अभिमंत्रित एक रक्षासूत्र बांधा था, जिसके प्रभाव से इंद्र विजयी हुए। यह रक्षाबंधन का सबसे प्राचीन उल्लेख माना जाता है।
- राजा बलि और माता लक्ष्मी: एक अन्य कथा के अनुसार, माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया था, ताकि उनके पति भगवान विष्णु वैकुण्ठ लौट सकें।
- यम और यमुना: मृत्यु के देवता यम की बहन यमुना ने उनकी कलाई पर राखी बांधी थी, जिससे यम को अमरता प्राप्त हुई। यम ने घोषणा की कि जो भी भाई अपनी बहन से राखी बंधवाएगा, उसे भी अमरता प्राप्त होगी।
- सामाजिक महत्व: यह त्योहार एकता और सद्भाव को बढ़ावा देता है। यह परिवार और समाज में जिम्मेदारी और चिंता के मूल्यों को पोषित करता है, जिससे लोग एक-दूसरे के प्रति अधिक जिम्मेदार बनते हैं।
- गुरु-शिष्य परंपरा: कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह त्योहार गुरु और शिष्य परंपरा का भी प्रतीक है, जहाँ गुरु अपने शिष्य को रक्षा सूत्र बांधकर उसकी सुरक्षा और ज्ञान की वृद्धि की कामना करते हैं।
संक्षेप में, रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्यार, त्याग, पवित्रता और सुरक्षा के वादे का एक जीवंत उत्सव है, जो सदियों से भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है।
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